क्रिप्टो मुद्राओं और विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण ने इन टेक्नोलॉजियों की उपयोगिता को स्केल कर इस्तेमाल के उनके मामलों का विस्तार करने वाले कई तरह के टूल्स और प्रोग्रामों की इनोवेशन को सुविधाजनक बना दिया।
क्रिप्टो मनी ट्रांसफ़र विकेंद्रीकरण और पियर-टू-पियर लेन-देन की रीढ़ के तौर पर काम करने वाले ब्लॉकचेन पर निर्भर करते हैं, और वे साझा नेटवर्क पर गतिविधियों का हिसाब रखते हैं।
सबसे पहले विकेंद्रीकृत लैजर के तौर पर Bitcoin BTC लेन-देन का हिसाब रखता है। लेकिन DeFi और Web 3.0 की भारी ग्रोथ ने अनेक ब्लॉकचेन और नेटवर्कों को जन्म दिया है। ये प्लेटफ़ॉर्म किसी क्रिप्टो ब्रिजिंग टूल के माध्यम से एक-दूसरे के साथ संचार करते हैं।
संक्षेप में कहें तो अलग-अलग ब्लॉकचेन इकोसिस्टमों के दरमियाँ क्रिप्टो ब्रिज एक समतल मैदान के तौर पर काम करते हैं। आइए विस्तार से देखते हैं कि क्रिप्टो जगत में ब्रिजिंग किसे कहते हैं और उसकी इतनी अहमियत क्यों है।
प्रमुख बिंदु
- क्रिप्टो ब्रिज दो अलग-अलग ब्लॉकचेन को कनेक्ट करने वाले उपकरण होते हैं।
- ब्रिजों का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है कि ब्लॉकचेन में अलग-अलग प्रोटोकॉलों, विनियमों और क्रिप्टोग्राफ़ी नियमों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके चलते किसी बिचौलिये के बिना बातचीत कर पाना नामुमकिन-सा हो जाता है।
- क्रिप्टो की दुनिया में ब्रिजिंग का इस्तेमाल मुद्राओं को एक्सचेंज करने, डिजिटल एसेट्स भेजने, या फिर लिक्विडिटी टूल्स या अन्य dApps में भाग लेने के लिए किया जाता है।
- ब्लॉकचेन ब्रिज एक्सचेंज से इसलिए अलग होते हैं कि उनमें कम स्टेप्स होते हैं व उनके तहत उपयोगकर्ता किसी केंद्रीकृत प्लेटफ़ॉर्म या वॉलेट के साथ डील किए बगैर सीधे बातचीत कर सकते हैं।
क्रिप्टो ब्रिज को समझना
विकेंद्रीकृत फ़ाइनेंस में ब्लॉकचेन इकोसिस्टम, नेटवर्क, ऐप्लीकेशन, एक्सचेंज प्लेटफ़ॉर्म व और भी काफ़ी चीज़ें शामिल होती हैं। ये टूल आपस में इंटरैक्ट कर अलग-अलग मकसद पूरे करते हैं, जैसे पैसों की ट्रांसफ़र, वस्तुओं और सेवाओं की खरीदारी, प्रोग्रामों की डेवलपमेंट, सॉफ़्टवेयर संचालन, इत्यादि।
लेकिन हर ब्लॉकचेन को किसी अलग कोडिंग भाषा में लिखा जाता है व वह किसी अलग तौर-तरीके का पालन करता है। उदाहरण के तौर पर, Ethereum कई सारे कॉइन्स, टोकनों, ऐप्लीकेशनों, गेम्स और प्लेटफ़ॉर्मों की रचना को पावर करने वाले एक एडवांस्ड कंसेन्सस प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करता है।
दूसरी तरफ़, Bitcoin ब्लॉकचेन का इस्तेमाल मुख्यतः BTC लेन-देन को परिष्कृत क्रिप्टोग्राफ़ी और ट्रांसफ़रों को सुरक्षित बनाने वाले सार्वजानिक कुंजी वाले इंफ़्रास्ट्रक्चर द्वारा सुनिश्चित एक सुरक्षित क्लाउड एनवायरनमेंट में स्टोर और शुरू करने के लिए किया जाता है।
इन ब्लॉकचेनों को आपस में व अन्य नेटवर्कों के साथ संचार कर डिजिटल कॉइन ट्रांसफ़रों, dApps की इंटरऑपरेबिलिटी और लेन-देन के सत्यापन को सुविधाजनक बनाया जाता है। लेकिन अलग तरह से निर्मित होने के कारण एक-दूसरे को समझने में उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
आइए जानते हैं कि क्रिप्टो ब्रिज अपना लोहा मनवाकर अलग-अलग चेनों के बीच एक बिचौलिये के तौर पर काम करते हुए अंतिम उपयोगकर्ता को सेवा मुहैया कराने के लिए मतभेदों को पाटने वाला एक सामान्य मैदान कैसे मुहैया कराते हैं।
इसलिए एक क्रॉस-चेन ब्रिज ब्लॉकचेनों की उपयोगिता का विस्तार कर विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था की समूची कार्यक्षमता में अपना योगदान देता है।
ब्लॉकचेन ब्रिज आखिर कैसे काम करते हैं?
क्रिप्टो ब्रिज अलग-अलग नेटवर्कों पर पंजीकृत अलग-अलग कॉइनों और टोकनों के एक्सचेंज को सुविधाजनक बनाते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर आप Ethereum ब्लॉकचेन पर किसी क्रिप्टो गेम में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन आपके पास सिर्फ़ Bitcoin ही है।
परंपरागत रूप से आपको अपनी BTC होल्डिंग्स को फ़िएट पैसे में कैश आउट कराकर कमाए गए फ़िएट पैसे से ETH खरीदना होगा। लेकिन ETH नेटवर्क पर आपके BTC को उसके बराबर की Bitcoin राशि में एक्सचेंज करने भर से ही क्रिप्टो ब्रिज इस प्रक्रिया को और भी सरल बना देते हैं।
ऐसा करके Bitcoin सप्लाई का बैलेंस बरकरार रखने के लिए ब्रिज आपकी BTC होल्डिंग को लॉक कर उन्हें Ethereum के BTC के साथ एक्सचेंज कर लेते हैं।
क्रिप्टो ब्रिज प्रकार
विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था के ब्रिज अलग-अलग तरीकों से सामान उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं। इसमें शामिल ऑपरेशनों और क्रिप्टो मुद्राओं के आधार पर आपका पाला निम्नलिखित टूल्स से पड़ सकता है।
केंद्रीकृत ब्रिज
क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे वर्चुअल कॉइन्स और टोकनों को एक्सचेंज करने का केंद्रीकृत ब्रिज एक आम तरीका होते हैं, जिसके चलते आप आसान चरणों में क्रिप्टो स्वैप कर सकते हैं।
अलग-अलग क्रिप्टो पूल्स के माध्यम से संचालित होने वाली ये संस्थाएँ आपके एक्सचेंज किए गए कॉइन्स को लॉक कर आपके इंटरेक्शन वाले नेटवर्क पर आपको उतने ही कॉइन्स दे देता है। उदाहरण के तौर पर, आपके BTC को लॉक कर वे आपको ETH का BTC दे देते हैं। इस प्रकार, खर्च किए गए BTC सर्कुलेशन से बाहर ही रखे जाते हैं।
केंद्रीकृत ब्रिज भरोसे पर ही चलते हैं, और आपको सिर्फ़ उन्हीं बेहद विश्वसनीय प्लेटफ़ॉर्मों के साथ डील करना चाहिए, जहाँ आप दरअसल कोई प्रोडक्ट खरीदे बगैर ही अन्य कॉइन्स के बदले अपनी क्रिप्टो होल्डिंग दे रहे हों।
विकेंद्रीकृत ब्रिज
विकेंद्रीकृत ब्रिजों में भरोसे की कम ज़रूरत होती है (जिसके चलते उन्हें ट्रस्टलेस ब्रिजों के नाम से भी जाना जाता है) क्योंकि आप किसी विशिष्ट संस्था के साथ डील नहीं कर रहे होते। इनके तहत कुछ मानदंडों के पूरा होते ही आप ऑपरेशन एक्सीक्यूट करने वाली स्मार्ट अनुबंध प्रणाली और एडवांस्ड प्रोटोकॉल से डील करने लगते हैं।
चलिए मान लीजिए कि आप किसी Ethereum-आधारित dApp में अपने BTC खर्च कर रहे हैं। विकेंद्रीकृत ब्रिज आपके पैसे को लॉक कर कम इंटरेक्शन और नतीजतन कम भरोसे की दरकार वाले एक सहज-से लेन-देन के तहत आपके वॉलेट में फ़ौरन ETH के Bitcoin रिलीज़ कर देते हैं।
लेकिन यहाँ एक नुकसान यह होता है कि ये नेटवर्क लेन-देनों को निशाना बनाकर उन्हें किसी और दिशा में रिडायरेक्ट कर देने वाले सुरक्षा जोखिमों और क्रिप्टो हैक्स के प्रति एक्स्पोज़ हो सकते हैं, जिसके चलते आपके वॉलेट से लाखों डॉलर एक ही झटके में गायब हो सकते हैं।
हाइब्रिड ब्रिज
हाइब्रिड ब्रिजों में केंद्रीकृत और विकेंद्रीकृत ब्रिजों, दोनों ही की खूबियाँ निहित होती हैं। उदाहरण के तौर पर, कोई मल्टी-चेन ब्रिज विकेंद्रीकृत विधि के माध्यम से लेन-देन पूरा कर सकता है, लेकिन ब्लॉकचेन पर ऑपरेशन को सत्यापित कर उसे प्रसारित करने के लिए वह स्मार्ट अनुबंधों का इस्तेमाल कर सकता है।
फ़ेडेरेटेड ब्रिज
फ़ेडेरेटेड ब्रिज अलग-अलग ब्लॉकचेनों पर लेन-देन को सत्यापित करने वाले भरोसेमंद नोड्स का समूह होते हैं। सत्यापित करने वाला प्रत्येक नोड किसी खास नेटवर्क के लिए ज़िम्मेदार होता है, जो अपनी निर्दिष्ट श्रृंखला पर ऑपरेशनों को प्रोसेस करता है।
इन संस्थाओं का चयन विभिन्न मानदंडों के आधार पर किया जाता है व आमतौर पर क्रिप्टो समुदायों में उन पर किए जाना वाला भरोसा अलग-अलग चेनों के दरमियाँ सुचारू लेन-देन को सुविधाजनक बनाता है।
लेयर 2 ब्रिज
लेयर 2 कुछ ब्लॉकचेन लेन-देन को ऑफ़लोड करने के लिए तेज़तर्रार लेन-देन और प्रोसेसिंग को मुमकिन बनाने वाला, मायनेट पर बनाए जाने वाला एक नेटवर्क होता है। ब्लॉकचेन की इंटरऑपरेबिलिटी और स्केलेबिलिटी को सपोर्ट करने के लिए ये ब्रिज अन्य चेनों के लेयर 2 नेटवर्कों की सहायता करते हैं।
लिक्विडिटी ब्रिज
ये समाधान किसी केंद्रीकृत या विकेंद्रीकृत ब्रिज का रास्ता न लेकर लिक्विडिटी प्रदाताओं के माध्यम से क्रिप्टो होल्डरों को अलग-अलग वर्चुअल मुद्रा पूल से जोड़ देते हैं। इसलिए इनमें भरोसे की ज़रूरत कम होती है और ये कारगर लिक्विडिटी और स्वैप समाधान मुहैया कराते हैं।
इंटरऑपरेबिलिटी ब्रिज
इंटरऑपरेबिलिटी ब्रिज अलग-अलग चेनों में डिजिटल एसेट्स और रचनाओं के एक्सचेंज का समर्थन करते हैं। dApp के निर्माण या प्रबंधन के लिए ऑपरेशनों का आगाज़ कर इन क्रॉस-चेन ब्रिजों ने प्लेटफ़ॉर्मों और ऐप्लीकेशनों को एक से ज़्यादा ब्लॉकचेन पर काम करने की सहूलियत प्रदान की है।
क्रिप्टो एक्सचेंज बनाम ब्रिज
विभिन्न प्लेटफ़ॉर्मों के दरमियाँ क्रिप्टो मुद्राओं और डिजिटल एसेट्स के एक्सचेंज को सुविधाजनक बनाने वाले एक्सचेंज और ब्रिज मिलते-जुलते लग सकते हैं। लेकिन वे अलग-अलग पद्धतियों के तहत काम करते हैं।
मान लीजिए कि आपके पास Bitcoins हैं, लेकिन अपनी अच्छी-खासी APY% के चलते आप किसी Ethereum-आधारित स्टेकिंग पूल में भाग लेना चाहते हैं। इस मौके का फ़ायदा आप दो प्रकार से उठा सकते हैं: या तो किसी एक्सचेंज के माध्यम से या फिर किसी क्रिप्टो ब्रिज के माध्यम से।
किसी एक्सचेंज के माध्यम से: अपने BTC को बेचकर आप फ़िएट धन प्राप्त कर सकते हैं, और उसके बाद आप अपने मनचाहे ETH कॉइन खरीद सकते हैं। वैकल्पिक रूप से, आप अपने Bitcoins को Ethereum में तब्दील करवाकर अपने ETH कॉइन्स को किसी कम्पेटिबल वॉलेट में भी भेज सकते हैं।
किसी ब्रिज के माध्यम से: आप सीधे स्टेकिंग अभियान में भी भाग ले सकते हैं क्योंकि ब्रिज आपके ऑरिजिनल कॉइन्स को किसी Ethereum-विशिष्ट (रैप्ड Ethereum, WETH) के साथ बदल सकते हैं ताकि वह नेटवर्क के साथ कम्पेटिबल हों।
इन दोनों ऑपरेशनों के दरमियाँ क्या फ़र्क होता है? आइए इस बारे में ब्लॉकचेन ट्राइलेमा दृष्टिकोण से चर्चा करते हैं।
- स्केलेबिलिटी : किसी ब्रिज के इस्तेमाल में शामिल कम बिचौलियों के चलते एक्सचेंज की मल्टी-स्टेप पद्धति की तुलना में लेन-देन ज़्यादा किफ़ायती और तेज़तर्रार हो जाता है।
- सुरक्षा: एक्सचेंज पर सौदे करने के लिए काफ़ी भरोसे की ज़रूरत होती है क्योंकि लेन-देन किसी सर्वर पर किए जाते हैं, जिनमें या तो सेंध लगाई जा सकती है या फिर लंबी प्रक्रिया के चलते कॉइन के मूल्य में आने वाली अस्थिरता से वे संबंधित हो सकते हैं।
- विकेंद्रीकरण: ब्रिज लेन-देन DeFi के मकसद से ज़्यादा कम्पेटिबल होते हैं, जिसके चलते उपयोगकर्ता अपनी पहचान की रक्षा कर एसेट्स या कॉइन्स ट्रांसफ़र करने के लिए विकेंद्रीकृत इकोसिस्टमों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
क्रिप्टो ब्रिजों की अहमियत
उपयोग के अधिक मामलों की छानबीन कर dApps और DeFi की उपयोगिता का कई ब्लॉकचेन नेटवर्कों में विस्तार करने के लिए क्रिप्टो मुद्राओं में ब्रिज एक अहम भूमिका निभाते हैं। यही बात ब्रिजों को अहम बनाती है।
क्रिप्टो ट्रांसफ़र
अलग-अलग ब्लॉकचेनों के क्रिप्टो कॉइन्स और टोकन ट्रांसफ़र कराने में ब्रिज एक अहम भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आप अपने Ethereum कॉइन्स को Binance के BNB में तब्दील कराना चाहते हैं, जिसके चलते ब्रिजिंग के माध्यम से आप अपने कॉइन्स डिपॉज़िट कर Binance Smart Chain में ETH के बराबर की राशि प्राप्त कर सकते हैं।
अलग-अलग लेन-देन और अलग-अलग शुल्क अदा किए बगैर क्रिप्टो मुद्राएँ स्वैप करते या खरीदते समय यह उपयोगिता काफ़ी कारगर साबित होती है। वैसे भी, यह प्रक्रिया ज़्यादा तेज़तर्रार होती है क्योंकि इसे किसी केंद्रीकृत प्लेटफ़ॉर्म या किसी ऑफ़/ऑन रैंप एक्सचेंज के ज़रिये न पूरा कर एक स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से एक्सीक्यूट किया जाता है।
dApps को सुविधाजनक बनाना
विकेंद्रीकृत ऐप्लीकेशन क्रिप्टो इकोसिस्टम के फलते-फूलते एलिमेंट होते हैं, जिमें क्रिएटर गेम्स, टूल्स, एसेट्स व अन्य यूटिलिटीज़ डेवेलोप कर उन्हें डिजिटल समुदायों को मुहैया करा देते हैं।
लेकिन किसी विशिस्ट dApp को किसी ब्लॉकचेन पर भी बनाया जा सकता है। इसलिए ब्रिज अलग-अलग चेनों, कॉइन्स और टोकन्स के माध्यम से ऐप्लीकेशन के साथ निवेश, खर्च और इंटरेक्शन को सरल बना देते हैं।
क्रिप्टो लिक्विडिटी
उपयोगकर्ताओं की मुद्राओं को एक्सचेंज करने के लिए उन्हें आपस में जोड़ने के अलावा, क्रिप्टो ब्रिज प्लेटफ़ॉर्मों को उनकी सेवाओं को बढ़ाकर उनकी पहुँच में विस्तार करने में उनकी मदद करते हैं, जिसके चलते उपयोगकर्ता अलग-अलग क्रिप्टो मुद्राओं के दरमियाँ खरीदारी और बिक्री कर पाते हैं।
इसलिए इससे बाज़ार में लेन-देन और उपलब्ध कॉइन्स की संख्या में बढ़ोतरी आ जाती है।
क्रिप्टो बर्न करना
स्मार्ट अनुबंधों का इस्तेमाल व एक परिष्कृत अल्गोरिथम का पालन कर ब्रिज कॉइन्स और टोकन्स की सप्लाई का संतुलन बनाए रखते हैं।
इसलिए जब आप अलग-अलग मुद्राओं के दरमियाँ ब्रिज करते हैं, तो डिपॉज़िट की गई क्रिप्टो या तो लॉक हो जाती है या फिर बर्न हो जाती है, और सर्कुलेशन स्तर को बरकरार रख अस्थिरता के कारण होने वाले उतार-चढ़ावों से बचने के लिए नए ब्रिज टोकन तैयार हो जाते हैं।
सत्यापन प्रक्रिया
बड़ी मात्रा में चलने वाले ऑपरेशनों से ब्लॉकचेन मायनेट को ऑफ़लोड कर लेयर 2 और इंटरऑपरेबिलिटी ब्रिज का इस्तेमाल लेन-देन और सत्यापन प्रक्रिया में गति लाने के लिए किया जाता है। इस तरह, क्रिप्टो ट्रांसफ़रों और लेन-देन को ज़्यादा तेज़तर्रार और किफ़ायती ढंग से प्रोसेस और समाप्त किया जाता है।
एसेट रिवर्सल
क्रिप्टो ब्रिज प्लेटफ़ॉर्म रिवर्स्ड प्लेटफ़ॉर्मों को सपोर्ट करते हैं। इसलिए अगर आप वापस अपनी ऑरिजिनल क्रिप्टो मुद्रा में स्वैप करना चाहते हैं, तो ये क्रॉस चेन आपको शुरुआत में डिपॉज़िट किए गए आपके कॉइन आपको लौटे देंगे।
बदले में खास अनुबंधों के तहत बने नवनिर्मित ब्लॉकचेन-विशिष्ट टोकनों को वे बर्न या लॉक करके उन्हें सर्कुलेशन के दायरे से बाहर रखते हैं।
क्रिप्टो मुद्राओं में ब्रिज करने की प्रक्रिया
क्रिप्टो ब्रिजों के साथ इंटरेक्शन काफ़ी सहज होता है व अधिकांश मामलों में उपयोगकर्ताओं को तो यह पता भी नहीं चलता कि वे किसी क्रिप्टो ब्रिज का इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि इस शब्द का इशारा दो अलग-अलग ब्लॉकचेन नेटवर्कों के दरमियाँ के एक संचार टूल की तरफ़ होता है। लेकिन यह प्रक्रिया कुछ इस प्रकार काम करती है।
- कोई उपयोगकर्ता ब्लॉकचेन A पर मिंट किए गए ऐसे कॉइन भेजता है, जो ब्लॉकचेन B के साथ कम्पेटिबल ही नहीं होते।
- डिपॉज़िट किए गए एसेट्स को लॉक कर ब्लॉकचेन A प्रक्रिया के स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट सौदे को प्रोसेस कर ब्रिजों को जोड़ देते हैं।
- ब्रिज B की मुद्रा और राशि से संबंधित लेन-देन की जानकारी को ब्रिज A संचारित कर देता है।
- ब्लॉकचेन B में नेटिव कॉइन्स में डिपॉज़िट किए गए क्रिप्टो के बराबर के नए क्रिप्टो का ब्रिज B आगाज़ कर देता है।
गौरतलब है कि ब्रिज किए गए लेन-देन दोनों दिशाओं में काम करते हैं। यानी कि अगर कोई ट्रेडर नए – रैप्ड – कॉइन्स का इस्तेमाल कर वापस इंटरैक्ट करना चाहता है, तो नए कॉइन्स को लॉक और ऑरिजिनल कॉइन्स को रिलीज़ कर एक बैकवर्ड प्रक्रिया का आगाज़ हो जाता है।
सही क्रिप्टो ब्रिज का चयन करना
ऐसे ही मकसद पूरे करने वाले कई DeFi प्लेटफ़ॉर्म और क्रॉस-चेन हैं, जो अलग-अलग ब्लॉकचेन नेटवर्कों को आपस में जोड़ते हैं। लेकिन सबसे बेहतरीन क्रिप्टो ब्रिजों के साथ काम करने से आपके पैसे और पहचान की सुरक्षा सुनिश्चित हो जाती है। आइए जानते हैं कि किसी विश्वसनीय DeFi ब्रिज की खोज कैसे की जा सकती है।
- इस्तेमाल में आसानी: केंद्रीकृत प्लेटफ़ॉर्मों पर काम करना अमूमन ज़्यादा आसान होता है क्योंकि अपने बड़े यूज़र बेस के चलते वे सरल होते हैं और पारदर्शिता और यूज़र फ़्रेंडलीनेस को बढ़ावा देते हैं।
- विश्वसनीयता: आपके पैसे की सुरक्षा और लेन-देन की गति सुनिश्चित करने के लिए किसी भरोसेमंद और विश्वसनीय प्लेटफ़ॉर्म को ढूँढना अहम होता है। यह खासकर इसलिए ज़रूरी होता है कि क्रिप्टो लेन-देनों में बदलाव नहीं किए जा सकते व उनका हैकिंग और सेंध लगने का एक अच्छा-खासा इतिहास है।
- सपोर्ट: सपोर्ट किए जाने वाले प्लेटफ़ॉर्मों, dApps और मुद्राओं की जाँच कर यह सुनिश्चित कर लें कि वे आपकी ज़रूरतों को पूरा करने वाली सेवाएँ मुहैया करा रही हैं, फिर भले ही आप स्टेकिंग पूल में भाग लेना चाहते हों या महज दो क्रिप्टो मुद्राओं को एक्सचेंज करना।
- शुल्क: ब्रिज और स्वैप प्लेटफ़ॉर्मों में माँग, मुद्रा, और प्लेटफ़ॉर्म नीतियों पर बेहद निर्भर करने वाले कई तरह के शुल्क लगते हैं। इसलिए प्राइसिंग स्ट्रक्चर की जाँच कर यह सुनिश्चित कर लें कि उसमें आपके डिजिटल एसेट्स की कीमत को कम करने वाला कोई छिपा शुल्क तो शामिल नहीं है।
क्रिप्टो ब्रिजों की सुरक्षा चुनौतियाँ
क्रिप्टो मुद्राओं और विकेंद्रीकृत प्लेटफ़ॉर्मों की दुनिया में साइबरसुरक्षा एक गरमा-गरम मुद्दा बना हुआ है। इसलिए DeFi प्लेटफ़ॉर्मों और ब्रिजों से जुड़ी सुरक्षा चुनैतियों को ध्यान में रखना ज़रूरी हो जाता है।
विकेंद्रीकृत ब्रिजों के साथ मुद्राएँ स्वैप करना बेहद जोखिमपूर्ण होता है क्योंकि उनके तहत दो उपयोगकर्ताओं को गुमनाम ढंग से आपस में बातचीत करनी होती है, और अगर कोई पार्टी बेईमानी करने की कोशिश करती है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि बदले में कुछ भी पाए बगैर आप अपने पैसे जमा करा बैठेंगे।
वैसे भी, किसी प्रोजेक्ट या dApp के बारे में बड़े-बड़े सपने दिखाने वाले उन क्रिप्टो स्कैम प्रोग्रामों से आपको सावधान रहना चाहिए, जो किसी ऐसे खास ब्रिज का इस्तेमाल करने का आपको लालच देते हों, जिसके तहत रातों-रात अपना बोरिया-बिस्तर समेटकर आपके एसेट्स के साथ वे गायब हो जाएँ।
निष्कर्ष
क्रिप्टो लेन-देन, स्वैप, dApps की स्केलेबिलिटी व और भी कई चीज़ों को सुविधाजनक बनाने के लिए दो चेनों के बीच इंटरेक्शन का आगाज़ करने वाले विकेंद्रीकृत टूल्स को क्रिप्टो ब्रिज कहते हैं।
कोई ब्लॉकचेन ब्रिज बनाने के लिए अलग-अलग प्लेटफ़ॉर्म अलग-अलग तौर-तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, फिर भले ही उस ब्रिज का उद्देश्य अलग-अलग चेनों पर लिक्विडिटी सप्लाई करना हो, इंटरऑपरेबिलिटी को सपोर्ट करना हो, या फिर सत्यापन प्रक्रिया में गति लाना हो। इसलिए अपनी ज़रूरतों के अनुसार उपयोगकर्ता अलग-अलग ब्रिजों के साथ इंटरैक्ट करते हैं।
क्रिप्टो एक्सचेंजों की तुलना में ब्रिज ज़्यादा तेज़तर्रार, किफ़ायती, और भरोसेमंद होते हैं। लेकिन एक विकेंद्रीकृत उपकरण के तौर पर ब्रिजिंग टूल्स के अपने सुरक्षा जोखिम भी होते हैं, जिन्हें मद्देनज़र रखते हुए सही ब्रिजिंग टूल का चयन करने से पहले आपको अच्छे से जाँच-पड़ताल कर लेनी चाहिए।
आम सवाल-जवाब
क्रिप्टो में ब्रिजिंग आखिर कैसे काम करती है?
क्रिप्टो ब्रिजिंग अलग-अलग चेनों पर मिंट किए गए एसेट्स और मुद्राओं के बीच लेन-देन को सुविधाजनक बनाने वाले अलग-अलग ब्लॉकचेन नेटवर्कों को जोड़ने की प्रक्रिया होती है।
क्रिप्टो को ब्रिज करने में कितना वक्त लगता है?
यह प्रक्रिया नेटवर्क की लोडिंग अवधि, कंजेशन, और इस्तेमाल किए जाने वाले प्लेटफ़ॉर्म पर निर्भर करती है। आमतौर पर लेन-देन की अवधि चंद सेकंड से लगभग 10 मिनट तक की होती है।
ब्रिज और एक्सचेंज में क्या फ़र्क होता है?
एक्सचेंजिंग के तहत अपने पैसे को स्टोर करने के लिए या तो आपको किसी बिचौलिये के तौर पर मुद्राओं को स्वैप करना होता है या फिर किसी केंद्रीकृत प्लेटफ़ॉर्म पर क्रिप्टो मुद्राओं को एक्सचेंज करना होता है। लेकिन ब्रिजों के माध्यम से आप सीधे अपने कॉइन का इस्तेमाल कर अलग-अलग चेनों के साथ इंटरैक्ट कर सकते हैं।
क्रिप्टो को ब्रिज क्यों किया जाता है?
आपके पास कोई भी क्रिप्टो मुद्रा क्यों न हो, डिजिटल पैसे को ट्रांसफ़र करने, डिजिटल एसेट्स भेजने, और Web 3.0 स्टेकिंग या लिक्विडिटी पूल में निवेश करने के लिए अपने क्रिप्टो को ब्रिज करना एक ज़्यादा तेज़तर्रार और किफ़ायती तरीका होता है।