Psychology of a Market Cycle in Crypto

क्रिप्टो में बाज़ार साइकिल का मनोविज्ञान: ट्रेडिंग निर्णयों को यह दिशा कैसे दे सकता है?

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किसी औसत उपयोगकर्ता के लिए ट्रेडिंग का मतलब कीमतों के उतार-चढ़ाव और बाज़ार के रुझानों में आने वाले बदलावों के साथ-साथ प्रोडक्ट्स की खरीद-फ़रोख्त होती है। लेकिन थोड़ी गहराई से देखने पर निवेशकों की चिंतन-प्रक्रिया और मनोविज्ञान से पनपने वाली अन्य जटिलताओं से भी आप रूबरू होंगे।

दरअसल किसी बाज़ार साइकिल का मनोविज्ञान भी कीमतों पर खबरों जितना ही प्रभाव डालकर फ़ैसला लेने से पहले ट्रेडर के सेंटिमेंट और बर्ताव के साथ खिलवाड़ करता है।

आइए क्रिप्टो बाज़ार साइकिल का मनोविज्ञान को करीब से देखकर यह समझने की कोशिश करते हैं कि कोई भी ऑर्डर प्लेस करने से पहले यह आखिर इतना अहम क्यों होता है।

प्रमुख बिंदु

  1. बाज़ार साइकिल के मनोविज्ञान के तहत मार्केट ऑर्डर प्लेस करते समय ट्रेडरों की भावनाओं और फ़ैसलों को समझा जाता है।
  2. ट्रेडरों के सेंटिमेंट ऊपर-नीचे होते रहते हैं, जैसे मंदड़िए और तेजड़िए बाज़ार। ये सेंटिमेंट निवेशक के फ़ैसलों को प्रभावित करने वाले कई चरणों से होकर गुज़रते हैं।
  3. ज़्यादातर उद्योगों में बाज़ार की मनोविज्ञान साइकिल मिलती-जुलती लग सकती है। लेकिन क्रिप्टो बाज़ार जैसे बाज़ारों की अस्थिरता के अनुसार उनकी आवृत्ति और स्थिरता में फ़र्क हो सकता है।

मार्केट साइकिल के मनोविज्ञान को समझना

क्रिप्टो बाज़ार साइकिल का मनोविज्ञान ट्रेडरों के व्यवहार और फ़ैसलों के साथ-साथ कीमतों में आने वाली गतिविधियों और गतिशीलता का भी विश्लेषण करता है, जैसे भावनाएँ, ज़रूरत से ज़्यादा सोचने की प्रवृत्ति, तार्किक सोच, व अन्य बातें। 

ये चरण बाज़ार की गतिविधियों, न्यूज़ अपडेट्स, और रुझानों के साथ निवेशक के इंटरैक्शन का निर्धारण करते हैं। 

प्राइस चार्ट्स में लगातार बदलाव आते रहते हैं, और ये छोटे-मोटे या अहम बदलाव ट्रेडर को भावनाओं के रोलरकोस्टर पर ले जाकर उसे सही फ़ैसले, कॉल करने के सही समय, और अपनी हर चाल के नतीजों के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर देते हैं।

इन चरणों का मार्केट मनोविज्ञान चार्ट के माध्यम से अध्ययन और विश्लेषण किया जाता है। यह चार्ट हर चरण में ट्रेडर के विचारों में आने वाले उतार-चढ़ावों को दर्शाता है।

market psychology chart

क्रिप्टो बाज़ार साइकिल के मनोविज्ञान का इस्तेमाल

ट्रेडिंग का सबसे पहला नियम यह होता है कि आपको अपनी भावनाओं में बहकर सौदे नहीं करने चाहिए। सफलता का दूसरा नियम यह होता है कि बाज़ार के सेंटिमेंट को समझकर आपको उसका अपने हक में इस्तेमाल करना चाहिए। 

लेकिन विशेषज्ञ निवेशक आम जनता की तरह भीड़ का पीछा नहीं करते। बल्कि वे तो समूचे रवैये का विश्लेषण कर सही समय पर सही फ़ैसले लेने के लिए उसका इस्तेमाल करते हैं।

उदाहरण के तौर पर अगर बाज़ार में मंदी आ रही है, तो ज़्यादातर लोग अक्सर उस एसेट की अपनी होल्डिंग्स को बेच देते हैं। लेकिन अनुभवी रिटेल ट्रेडर इस दबाव के बोझ तले झुकते नहीं क्योंकि उन्हें पता होता है कि खासकर गहरी रिसर्च करने के बाद ज़रूरत से ज़्यादा खरीद लिए गए उपकरणों के पास रिकवरी का मौका होता है।

crypto market cycle

बाज़ार साइकिल के मनोविज्ञान का चरण

बाज़ार की साइकिल को दो चरणों में बाँटा जा सकता है – अपट्रेंड और डाउनट्रेंड। इन बाज़ारों में सौदे करने वाले ट्रेडर्स के मनोविज्ञान के कई चरण होते हैं। यह बात ज़्यादातर उद्योगों पर लागू होती है; अगर आप स्टॉक्स, मुद्राओं या क्रिप्टो कॉइन्स में ट्रेड कर रहे हैं, तो बाज़ार के ये उतार-चढ़ाव अपेक्षित होते हैं।

अनिच्छा और अविश्वास

क्योंकि बाज़ारें खुद को बार-बार दोहराती हैं, आमतौर पर इस शुरुआती चरण के साथ मंदी के पिछले चरण का अंत और संदेह और आशंकाओं वाली एक नई साइकिल का आगाज़ हो जाता है। 

इस चरण में ज़्यादातर ट्रेडरों को मौजूदा रुझान की सफलता पर संदेह होता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि पिछली बार की तरह इस बार भी वह असफल ही रहेगा। ट्रेडिंग के अपने सफ़र के आगाज़ से पहले निवेशक अक्सर सावधानी बरतते हैं।

आशा और आशावाद

बाज़ार के प्रलोभनों से इनकार और उनका विरोध करने के बाद निवेशकों के मन में उम्मीद पनपने लगती है क्योंकि रुझान में यकीन करते-करते वे यह मानने लगते हैं कि इस बार उनकी किस्मत पिछली बार से बेहतर होगी।

ट्रेंड के सकारात्मक संकेतों के चलते इस चरण के दौरान बाज़ार में सौदेबाज़ी करने वाले लोगों में अक्सर उत्साह और आशावाद का माहौल होता है। निवेशक तकनीकी विश्लेषण और भविष्यवाणी करने व निवेश की अपनी रणनीति और परिस्थितियों को निर्धारित करने में काफ़ी मेहनत करने लगते हैं। 

इसके अलावा अपने संदेहों का मुकाबला इस जोखिम के सफल होने की आशा से करते-करते ट्रेडर अपने जोखिम और सहनशीलता के स्तर का हिसाब लगाना शुरू कर देते हैं।

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रोमांच और उत्साह

बाज़ार में निवेश और कोई पोज़ीशन लेने के बाद ट्रेडर को उस पल का रोमांच और उत्साह महसूस होने लगता है। समूचा तेजड़िया बाज़ार और एसेट्स की बढ़ती कीमतें अक्सर इस भावना का साथ निभाती हैं।

इस मुकाम पर आकर जैसे-जैसे बाज़ार के ज़्यादा भागीदार आम व्यवहार के प्रति प्रतिक्रिया देते हैं और मुनाफ़ा कमाने की खुशी में निवेशक अपने पैसे का हिसाब लगाने लगते हैं, वैसे-वैसे खरीदारी के ऑर्डरों में बढ़ोतरी आती रहती है।

जैसे-जैसे खरीदारी के और ऑर्डर प्लेस किए जाते हैं, वैसे-वैसे यह बुलबुला बड़ा होता चला जाता है। बाज़ार की कीमत के अपने शिखर पर पहुँच जाने या उसके पार चले जाने के बाद भी ट्रेडर बेचने को राज़ी नहीं होते क्योंकि उन्हें लगता है कि उस रुझान का और भी फ़ायदा उठाकर वे अपनी रिटर्न्स में इज़ाफा कर सकते हैं।

इसका एक जीता-जागता उदाहरण 2021 में देखने को मिला था, जब कीमतों में आने वाले उछाल को ट्रेडर और ऊपर उठाकर Bitcoin को नई ऊँचाइयों पर ले गए थे। बड़ा होते-होते यह बुलबुला आखिरकार कुछ इस कदर फटा था कि समूचे बाज़ार को ही ले डूबा था।

चिंता और घबराहट

बाज़ार की कीमतों में गिरावट आना लाज़मी है क्योंकि ट्रेडिंग जगत में भी कुछ भी हमेशा के लिए नहीं होता, और ऐसे में ट्रेडर रुझान पर ही सवाल खड़े करने लगते हैं। इस चरण में आकर निवेशक अक्सर दो गुटों में बंट जाते हैं: संदेह करने वाले और यकीन करने वाले।

संदेह करने वाले लोगों को लगता है कि बाज़ार में आने वाला उछाल खत्म हो चुका है व मुनाफ़ा बुक करने के लिए उन्हें अपनी पोज़ीशनों को क्लोज़ कर अपनी होल्डिंग्स को बेच देना चाहिए।

दूसरी तरफ़ यकीन करने वाले लोगों के मन में इस बात को लेकर उम्मीद की एक किरण होती है कि यह बस एक अस्थायी झटका मात्र था और इसके बाद कीमतें उछलकर और भी ऊपर, नए स्तरों पर चली जाएँगी। आमतौर पर इस गलती से लाखों न सही, पर हज़ारों रुपये का नुकसान हो जाता है क्योंकि बुलबुले के अपने चरम पर पहुँच जाने पर ज़रूरत से ज़्यादा खरीदी गईं प्रोडक्ट्स में करेक्शन आना तय होता है।

गुस्सा और डिप्रेशन

इस चरण पर आकर मंदड़िए बाज़ार का आगाज़ हो जाता है, जहाँ नीचे जाती कीमतें भारी गिरावट का सिलसिला शुरू कर देती हैं। अपनी होल्डिंग्स बेचकर ट्रेडर या तो अभी तक कमाए गए मुनाफ़े बुक कर लेते हैं या फिर खो चुके अतिरिक्त अवसरों को स्वीकार कर लेते हैं।

नए ऑर्डर प्लेस होने के साथ-साथ भारी नुकसान के डर के चलते कीमतों में गिरावट जारी रहती है, और समूचे बाज़ार की मंदी के चलते निवेशकों में गुस्से और डिप्रेशन के भाव उमड़ने लगते हैं। स्टॉप-लॉस स्तरों का इस्तेमाल करने वाले लोग भारी फ़ायदा या कम से कम नो प्रॉफ़िट नो लॉस की स्थिति तो सुनिश्चित कर ही लेते हैं।

कभी-कभार अगर यह प्रमाणित हो जाए कि एसेट में ज़रूरत से ज़्यादा बिक्री की गई है तो इस तेज़ गिरावट को रोका भी जा सकता है, जो एसेट को वापस खरीदकर एक नया अपटिक शुरू करने का एक सुनहरा अवसर होता है। 

रिकवरी और आशावाद

कीमतों के रॉक बॉटम पहुँच जाने के बाद एक नई उम्मीद का दौर शुरू होता है, जिसके दौरान ट्रेडर कीमतों में आने वाली छोटी से छोटी रिकवरी पर नज़र रखकर नए रुझान की संभावनाओं का विश्लेषण करते हैं।

एसेट की कीमत में सकारात्मक संकेत दिखाई देने लगते हैं, और अपने विकल्पों और संभावित मूवमेंट्स का मूल्यांकन करते-करते निवेशक वापसी के लिए तैयार हो जाते हैं।

लेकिन इस नाज़ुक चरण में कीमतों का रुझान सकारात्मक तो हो ही सकता है, लेकिन खरीदारी गतिविधि के बोझ तले आकर इसमें फ़ौरन गिरावट भी आ सकती है। इसलिए इस चरण के दौरान निवेशक अपने-अपने निवेश का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करते हैं।

अनिच्छा और अविश्वास

इस मुकाम पर आकर कीमतों में सुधार आने लगता है क्योंकि बाज़ार के भागीदार नए रुझान की संभावनाओं और निरंतरता को संदेह की नज़रों से देखने लगते हैं। दूसरे शब्दों में, बाज़ार की साइकिल अपने सबसे पहले वाले चरण में लौट जाती है, जहाँ निवेशकों को कीमतों के भविष्य और रुझान की विश्वसनीयता पर संदेह होता है।

मार्केट साइकिल ट्रेडिंग रणनीतियों में महारत हासिल करना

हर ट्रेडर बाज़ार की साइकिल के मनोविज्ञान को अलग-अलग ढंग से देखता है। हालांकि परंपरागत स्टॉक ट्रेडिंग रणनीतियों के इस्तेमाल में भी कोई हानि नहीं होती, अनुभवी निवेशक ये तरीके अपना सकते हैं।

  • बढ़ते एसेट्स को बेचकर डिवैल्यूएशन के दौरान उनकी खरीदारी करने के विरोधाभासी मार्केट ऑर्डरों को एक्सीक्यूट करना। इस रणनीति के तहत बाज़ार के करवट बदलने पर ट्रेडर बाकी सब से एक कदम आगे रह पाता है।
  • ज़रूरत से ज़्यादा खरीदे और बेचे गए एसेट्स को समझने के लिए RSI इंडेक्स के साथ ट्रेडिंग करना। इस प्रकार निवेशक इस बात का पता लगा सकते हैं कि क्या बाज़ार में आने वाले उछाल के लिए ओवरवैल्यूएशन ज़िम्मेदार थी, जिस सूरत में कीमत जल्द ही स्थिर हो जाएगी और तेजड़िए निवेशक अपने निवेश के एक हिस्से से हाथ धो सकते हैं।
  • पोज़ीशन ट्रेडिंग एक जानी-मानी रणनीति होती है, जिसके तहत बाज़ार को एक लंबे अरसे तक, जैसे कई महीनों तक, बरकरार रखकर बड़ी पिक्चर पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
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निष्कर्ष

क्रिप्टो मुद्राओं में बाज़ार की साइकिल के मनोविज्ञान के तहत मौजूदा हालातों और सेंटिमेंट को समझकर इस जानकारी के माध्यम से सही ट्रेडिंग निर्णय लिए जाते हैं।

बाज़ार साइकिल मनोविज्ञान में दो दिशाएँ होती हैं, ऊपर की ओर और नीचे की ओर। हर दिशा में अलग-अलग चरण होते हैं। ये चरण उन खयालों और भावनाओं जैसे होते हैं, जिनसे वित्तीय बाज़ारों में निवेश करते-करते ट्रेडर गुज़रते हैं।

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द्वारा लिखित

Hazem Alhalabiकॉपीराइटर
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द्वारा समीक्षित

Tamta Suladzeप्रमुख लेखक

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