क्रिप्टो उपयोगकर्ता अक्सर इस उधेड़-बन में रहते हैं कि उन्हें केंद्रीकृत क्रिप्टो एक्सचेंज जैसी तीसरी पार्टी वाले कस्टोडियनों के भरोसे अपनी निजी कुंजियों को छोड़ना चाहिए, या फिर गैर-कस्टोडियल वॉलेट्स के माध्यम से उन्हें मैन्युअली ही मैनेज करना चाहिए। क्रिस्टल ब्लॉकचेन एंड कॉइनटेलीग्राफ़ की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दशक के दौरान क्रिप्टो एक्सचेंज हैक्स के माध्यम से $15.6 अरब चुराए गए थे, जिसके चलते गैर-कस्टडी विकल्पों की सुरक्षा को लेकर काफ़ी सवाल खड़े हुए हैं।
इसलिए ज़्यादा क्रिप्टो उपयोगकर्ता गैर-कस्टडी क्रिप्टो वॉलेट्स का चयन करते हैं, जिसके चलते उन्हें अपने पैसे और जोखिम पर संपूर्ण नियंत्रण मिल जाता है। लेकिन अपनी कुंजियों को खुद ही मैनेज करने की एक भारी कीमत भी चुकानी पड़ती है – छोटी-सी गलती या फिर अपने वॉलेट से हाथ धो बैठने से आप हमेशा-हमेशा के लिए अपने क्रिप्टो एसेट्स को गँवा सकते हैं।
रिकवरी की किसी गारंटी के बिना यह सवाल उठाना लाज़मी है: क्या किसी खोए हुए वॉलेट से क्रिप्टो को वापस प्राप्त करना मुमकिन भी होता है?
प्रमुख बिंदु
- अगर आप अपने वॉलेट का एक्सेस गँवा देते हैं, तो किसी रिकवरी फ़्रेज़ के माध्यम से उसे पुनः प्राप्त किया जा सकता है।
- क्रिप्टो उद्योग में कई वैकल्पिक समाधान उपलब्ध हैं।
- अगर आप अपने गुप्त फ़्रेज़ को गँवा देते हैं, तो वॉलेट को पुनः प्राप्त करने की सफलता दर काफ़ी कम रह जाती है।
क्रिप्टो वॉलेट्स के बेसिक्स
क्रिप्टो वॉलेट्स आपके क्रिप्टो एसेट्स के स्वामित्व को सिद्ध करने वाली क्रिप्टोग्राफ़िक कुंजियाँ होल्ड कर काम करती हैं। इन कुंजियों का इस्तेमाल ब्लॉकचेन पर लेन-देन को प्रमाणित कर एसेट्स के स्वामित्व को सत्यापित करने के लिए किया जाता है।
निजी कुंजियाँ
किसी क्रिप्टो वॉलेट का सबसे अहम अंग निजी कुंजी होती है। यह लेन-देन को अधिकृत करने वाले डिजिटल सिग्नेचर के तौर पर काम करने वाले करैक्टर्स की लंबी, जटिल और इंसानों द्वारा न पढ़ी जा सकने वाली स्ट्रिंग होती है। इस निजी कुंजी को हमेशा गोपनीय रखा जाना चाहिए, क्योंकि इसे एक्सेस कर पाने वाला कोई भी व्यक्ति ब्लॉकचेन पर उपयोगकर्ता के एसेट्स को नियंत्रित कर सकता है।
सीड फ़्रेज़
किसी क्रिप्टो वॉलेट का एक अहम अंग सीड फ़्रेज़ या रिकवरी फ़्रेज़ होता है। यह किसी क्रिप्टो वॉलेट की मास्टर कुंजी के तौर पर काम करने वाला 12 या 24 रैंडम शब्दों का एक सीक्वेंस होता है। अगर उपयोगकर्ता अपना डिवाइस खो बैठता है या फिर अपना पासवर्ड भूल जाता है, तो इस बैकअप के माध्यम से वह अपने पैसे को रिकवर कर सकता है।
सीड फ़्रेज़ को BIP-39 नाम के स्टैंडर्डाइज़्ड अल्गॉरिथम के आधार पर जैनरेट किया जाता है। इन फ़्रेज़ों को कुछ इस प्रकार डिज़ाइन किया जाता है कि ये इंसानों के लिए लिखने और याद रखने में तो आसान हों, लेकिन बाकी लोगों के लिए इनका अनुमान लगाना या फिर इन्हें दुबारा बना पाना बेहद मुश्किल हो।
सीड फ़्रेज़ का कभी भी किसी के सामने खुलासा नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह बैंक के PIN जैसा होता है और इसकी मदद से उपयोगकर्ता के पैसे को एक्सेस किया जा सकता है।
क्रिप्टो को किसी रिकवरी फ़्रेज़ के माध्यम से पुनः कैसे प्राप्त करें
अगर आप अपने वॉलेट के एक्सेस से हाथ धो बैठे हैं लेकिन आपके पास आपका फ़्रेज़ है, तो रिकवरी प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल होती है:
- अपने ब्राउज़र में वॉलेट ऐप या एक्सटेंशन खोल लें।
- ऐप में “वॉलेट रिकवर करें” विकल्प की तलाश कर फ़्रेज़ को वहाँ दर्ज करें।
- यह सुनिश्चित कर लें कि अपने रिकवरी फ़्रेज़ को आपने ठीक से दर्ज किया है।
- डिवाइस पर अपने वॉलेट की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नया पासवर्ड सेट कर लें।
- पासवर्ड की पुष्टि करें।
- वॉलेट के ब्लॉकचेन के साथ सिंक्रोनाइज़ होने की प्रतीक्षा करें। इस प्रक्रिया में कुछ मिनट का समय लग सकता है।
अगर आप अपना गुप्त रिकवरी फ़्रेज़ भी गँवा दें?
दुर्भाग्यवश, अपने रिकवरी फ़्रेज़ को गँवा बैठने के बाद अपने वॉलेट को पुनः प्राप्त करना काफ़ी ज़्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाता है। लेकिन ऐसे में भी आप कुछ विकल्प आज़माकर देख सकते हैं:
- वॉलेट प्रदाता से संपर्क करें: कुछ वॉलेट प्रदाता आपके एकाउंट से संबंधित पर्याप्त जानकारी, जैसे ईमेल पता या फ़ोन नंबर, प्राप्त करने के बाद आपका वॉलेट रिकवर करने में आपकी मदद कर सकते हैं।
- अपना वॉलेट पासवर्ड दर्ज करें: अगर आपको अपने वॉलेट का पासवर्ड याद है, तो अपने वॉलेट को वापस प्राप्त करना ज़्यादा आसान हो जाता है।
- अधिक सहायता के लिए किसी डेटा रिकवरी विशेषज्ञ की मदद लें: इस आखिरी विकल्प के तहत सफलता की कोई गारंटी नहीं होती। डेटा रिकवरी विशेषज्ञ रिकवरी फ़्रेज़ वाली डिलीट की गईं फ़ाइलों को बहाल कर सकते हैं, बशर्ते उस फ़्रेज़ को इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्टोर किया गया था।
गौरतलब है कि फ़्रेज़ के बिना वॉलेट को रिकवर करने की सफलता दर कम ही होती है।
रिकवरी फ़्रेज़ को सुरक्षित रखना आखिर इतना अहम क्यों होता है?
अपने रिकवरी फ़्रेज़ की सुरक्षा कर आप यह सुनिश्चित करते हैं कि अपनी क्रिप्टो होल्डिंग्स का एक्सेस सिर्फ़ आपके पास हो। अपने रिकवरी डेटा को कभी भी किसी के साथ साझा न करें – इनमें आपके घरवाले, यार-दोस्त, या ग्राहक सेवा एजेंट भी शामिल हैं।
हैकिंग के जोखिम को कम करने के लिए अपने सीड फ़्रेज़ को ऑफ़लाइन स्टोर करने का सुझाव दिया जाता है। अपने Bitcoin वॉलेट की जानकारी को किसी कंप्यूटर या फ़ोन में साझा करने से बचें, क्योंकि हैकर इन डिवाइसों पर धावा बोल सकते हैं। ऐसा करने के बजाये अपने क्रिप्टो एसेट रिकवरी फ़्रेज़ को किसी फ़ायरप्रूफ़, सुरक्षित स्थान पर स्टोर करें या फिर मज़बूत सुरक्षा उपाय मुहैया कराने वाले हार्डवेयर कोल्ड वॉलेट्स का इस्तेमाल करें।
अपने सीड फ़्रेज़ के एकाधिक बैकअप बनाने की भी सलाह दी जाती है। ऐसा करके अगर आपका कोई एक-आधा बैकअप वॉलेट खो जाता है या क्षत्रिग्रस्त भी हो जाता है, तो भी आप अपने खोए हुए पैसे को वापस प्राप्त कर सकते हैं। एक-साथ सब कुछ गँवा बैठने के जोखिम को कम करने के लिए अपने बैकअप्स को अलग-अलग जगहों पर स्टोर करना न भूलें।
वॉलेट सुरक्षा के विकल्प
हालांकि खोए हुए Bitcoin एसेट्स को पुनः प्राप्त करने का मानक उपाय सीड फ़्रेज़ ही हैं, क्रिप्टो उद्योग में की जाने वाली इनोवेशनों के चलते सुरक्षा से समझौता किए बगैर उपयोगकर्ता के अनुभव में सुधार लाने के लिए कई वैकल्पिक समाधान भी पेश किए गए हैं। आइए ऐसे ही कुछ विकल्पों के बारे में बात करते हैं:
हार्डवेयर सुरक्षा मॉड्यूल
हार्डवेयर सिक्यूरिटी मॉड्यूल (HSM) कंप्यूटर या नेटवर्क सर्वर से जुड़ने वाले वे भौतिक डिवाइस होते हैं, जिनमें निजी कुंजियों जैसी संवेदनशील जानकारी को स्टोर कर सुरक्षित रखा जाता है।
इनसे छेड़छाड़ नहीं की जा सकती व इनके फ़ीचर्स को एक्सेस करने के लिए अक्सर मल्टी-फ़ैक्टर ऑथेंटिकेशन की ज़रूरत पड़ती है। आमतौर पर HSM का एंटरप्राइज़ों में इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कुछ कंपनियों ने निजी उपयोगकर्ताओं के लिए ग्राहक-स्तरीय समाधान भी विकसित किए हैं।
सॉफ़्टवेयर-आधारित वॉलेट्स की तुलना में HSM बेहतर सुरक्षा मुहैया कराते हैं। क्योंकि निजी कुनियों को ऑफ़लाइन स्टोर किया जाता है व हैकर उन्हें दूर से एक्सेस नहीं कर सकते, उनके चोरी हो जाने या खो जाने का जोखिम काफ़ी कम हो जाता है। इसके अलावा, स्टोर की गईं कुंजियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए HSM खास एन्क्रिप्शन अल्गॉरिथमों और प्रोटोकॉलों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उन कुंजियों को निकाल पाना नामुमकिन-सा हो जाता है।
लेकिन HSM का एक नुकसान भी होता है – उनमें आने वाली लागत। अपनी जटिलता और फ़ीचर्स के चलते ये डिवाइस महँगे होते हैं। नतीजतन उनकी स्वीकार्यता सिर्फ़ बड़े-बड़े संगठनों और हाई नेट वर्थ वाले कुछ रईस लोगों तक ही सीमित रह जाती है।
मल्टी-साइ वॉलेट्स
मल्टीसिग्नेचर (मल्टी-साइ) वॉलेट्स निजी कुंजियों के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी को एकाधिक पार्टियों के बीच बाँट देते हैं। लेन-देन को अधिकृत करने के लिए इन वॉलेट्स को एक से ज़्यादा सिग्नेचर की ज़रूरत होती है, यानी कि विफलता के एक बिंदु को जोखिम को कम कर ये सुरक्षा में सुधार ले आते हैं।
मल्टीसाइ वॉलेट्स खासकर क्रिप्टो मुद्राओं की बड़ी-बड़ी मात्राओं का प्रबंधन करने वाले व्यवसायों और संगठनों के लिए उपयोगी होते हैं। इन वॉलेट्स की बदौलत कंपनियाँ पैसे को मैनेज करने की ज़िम्मेदारी को एकाधिक टीम सदस्यों या बोर्ड सदस्यों के बीच बाँट सकती हैं, जिससे अंदरूनी खतरों या मानवीय भूल का जोखिम कम हो जाता है।
लेकिन इस विकल्प के भी अपने नुकसान होते हैं। मल्टीसाइ वॉलेट्स उन निजी उपयोगकर्ताओं के लिए जटिल साबित हो सकते हैं, जिन्हें लेन-देन ऑथरायज़ेशन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए पर्याप्त भरोसेमंद लोग ढूँढने में मुश्किल आ रही है। इसके अलावा, संबंधित पार्टियों के बीच किसी भी असहमति या वाद-विवाद से लेन-देन को एक्सीक्यूट करने में देरी या दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन
बायोमेट्रिक टेक्नोलॉजी के उदय के साथ कुछ क्रिप्टो वॉलेट्स फ़ंड्स को एक्सेस करने के लिए अब फ़िंगरप्रिंट या फ़ेशिअल रिकग्निशन जैसे बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन तौर-तरीकों के इस्तेमाल का विकल्प भी मुहैया कराते हैं। जटिल पासवर्ड या फ़्रेज़ को याद रखने की ज़रूरत को दरकिनार कर यह तरीका सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत के तौर पर काम करता है।
बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन सुविधाजनक भी होती है, क्योंकि उपयोगकर्ताओं को न तो अपने रिकवरी फ़्रेज़ को ट्रैक करना पड़ता है और न ही उसके खो जाने या चोरी हो जाने की चिंता में अपनी नींद गँवानी पड़ती है। लेकिन यह तरीका भी कोई रामबाण उपाय नहीं होता व डीप फ़ेक्स, स्पूफ़िंग, या बायोमेट्रिक डेटा की चोरी जैसी हैकिंग तकनीकों के माध्यम से इसमें भी सेंध लगाई जा सकती है।
सोशल रिकवरी
सोशल रिकवरी परंपरागत क्रिप्टो वॉलेट रिकवरी फ़्रेज़ का एक ज़्यादा यूज़र-फ़्रेंडली विकल्प होता है। इसके तहत उपयोगकर्ता अपने भरोसेमंद संपर्कों की सूची बना सकते हैं। उपयोगकर्ता अगर अपना पासवर्ड भूल जाता है या फिर अपने डिवाइस का एक्सेस खो बैठता है, तो इन संपर्कों के माध्यम से वह अपने वॉलेट को रिकवर कर सकता है।
इस प्रक्रिया के तहत रिकवरी फ़्रेज़ के एन्क्रिप्टेड टुकड़ों को जैनरेट कर उन्हें अभिभावकों में बाँट दिया जाता है। अपने आप में तो ये टुकड़े बेकार होते हैं, लेकिन एक-साथ इस्तेमाल किए जाने पर उनसे रिकवरी फ़्रेज़ बनकर तैयार हो जाता है। किसी एक व्यक्ति या संगठन पर निर्भर किए बगैर क्रिप्टो को पुनः प्राप्त करने का यह एक सुरक्षित और विकेंद्रीकृत तरीका होता है।
लेकिन सोशल रिकवरी प्रणालियाँ भी कोई रामबाण उपाय नहीं होती हैं। भागीदारों में मिलीभगत अभी भी एक बड़ी चिंता बनी हुई है, और चयनित संपर्क आपके भरोसे के लोग ही होने चाहिए।
अंतिम विचार
अपने कॉइन्स को सुरक्षित रखने के लिए आप भले ही किसी भी तरीके का चयन करें, अपने संवेदनशील डेटा और फ़ंड्स का सावधानीपूर्वक और ज़िम्मेदार इस्तेमाल ही आखिरकार आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करता है। गौरतलब है कि बात जब डिजिटल एसेट्स की सुरक्षा की आती है, तो रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर होती है। अपने सीड फ़्रेज़ के एकाधिक बैकअप रखें, और गोपनीय जानकारी को कभी किसी के साथ साझा न करें।