वर्चुअल मुद्राओं में निवेश डिजिटल मुद्राओं की ग्रोथ का फ़ायदा उठाने के सबसे लुभावने तरीकों में से एक है। परंपरागत उपकरणों की तुलना में डिजिटल एसेट्स में ज़्यादा उतार-चढ़ाव जो आते हैं।
लेकिन वर्चुअल मुद्राओं की ज़्यादा अस्थिरता में कभी-कभी थोड़ा जोखिम भी होता है। इसलिए बाज़ार की अनिश्चितता के खिलाफ हेज करने के लिए ट्रेडर क्रिप्टो डेरीवेटिव अपनाकर वर्चुअल मुद्राओं की संभावनाओं का फ़ायदा उठाते हैं।
कस्टोडियल वॉलेट और ओनरशिप प्रोसेसिंग के झंझट के बिना ही ये टूल डिजिटल एसेट्स खरीदने-बेचने का ज़्यादा तेज़तर्रार और सुरक्षित तरीका साबित होते हैं। आइए क्रिप्टो डेरीवेटिव के मतलब के बारे में ज़्यादा विस्तार से बात करके अलग-अलग तरह के डेरीवेटिव्स पर थोड़ा प्रकाश डालते हैं।
प्रमुख बिंदु
- अस्थिर और लुभावनी डिजिटल मुद्राओं का फ़ायदा उठाने के लिए क्रिप्टो डेरीवेटिव ज़्यादा लिक्विडिटी और कम जोखिम वाला विकल्प साबित होते हैं।
- स्पॉट ट्रेडिंग की तुलना में ये अनुबंध ज़्यादा एक्सेसिबल और एक्सीक्यूट करने में ज़्यादा आसान होते हैं।
- क्रिप्टो डेरीवेटिव अनुबंधों के तहत दो पार्टियों को किसी विशिष्ट तारीख पर कीमत, प्रकार, और धनराशि के लिए सहमत होना पड़ता है।
क्रिप्टो डेरीवेटिवों को समझना
डेरीवेटिव किसी वित्तीय इंस्ट्रूमेंट की तारीख और कीमत पर सहमत होने वाले दो ट्रेडरों के बीच के वित्तीय अनुबंध होते हैं। इसलिए डेरीवेटिव कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू बुनियादी एसेट के मार्केट प्राइस को ट्रैक करती है, फिर भले ही वह बुनियादी एसेट स्टॉक हों, बॉन्ड हों, कमोडिटी हों, या मुद्राएँ हों।
क्रिप्टो के संदर्भ में ऐसे कॉन्ट्रैक्ट किसी तय कीमत पर, किसी खास तारीख पर वर्चुअल मुद्राएँ खरीदने-बेचने के अनुबंध होते हैं। कॉन्ट्रैक्ट एक्सीक्यूशन की तारीख पर बाज़ार के उतार-चढ़ाव की परवाह किए बिना दोनों पार्टियाँ तय कीमत पर कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू को एक्सचेंज कर लेती हैं।
क्रिप्टो डेरीवेटिव्स और स्पॉट ट्रेडिंग के बीच सबसे बड़ा फ़र्क मूलधन का स्वामित्व होता है। स्पॉट ट्रेडिंग के विपरीत, डेरीवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के तहत सब्जेक्ट एसेट का स्वामित्व ट्रांसफ़र नहीं होता है।
क्रिप्टो डेरीवेटिव प्रकार
डेरीवेटिव कॉन्ट्रैक्ट किसी भी बाज़ार में लागू किए जा सकते हैं, व सब्जेक्ट इंस्ट्रूमेंट स्टॉक, बॉन्ड, मुद्राएँ,कमोडिटी या क्रिप्टो हो सकते हैं। क्रिप्टो डेरीवेटिव्स के तहत किसी अनुबंध और किसी कीमत और तारीख पर सहमत होने वाली दो पार्टियाँ होनी चाहिए। ये डेरीवेटिव्स तीन प्रमुख प्राकर के होते हैं: ऑप्शन, फ़्यूचर, और पर्पेचुअल।
ऑप्शन
ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स के तहत ट्रेडर को अपना मनचाहा फ़ैसला लेने में ज़्यादा लचीलापन मिलता है। उदाहरण के तौर पर एक्सपीरेशन की तारीख पर ट्रेडर को या तो डेरीवेटिव विनिर्देशों का पालन कर उन्हें एक्सीक्यूट करने का या फिर कॉन्ट्रैक्ट को अस्वीकार कर ट्रेड को प्रोसेस न करने का अधिकार होता है।
ऑप्शन डेरीवेटिव के तहत कॉल एंड पुट जैसे अलग-अलग तरह के कॉन्ट्रैक्ट होते हैं। कॉल ऑप्शन में ट्रेडर कॉन्ट्रैक्ट की एक्सीक्यूशन डेट पर बुनियादी एसेट्स को खरीद सकता है, जबकि पुट का मतलब तय तारीख पर एसेट को बेचना होता है।
अन्य प्रकार के ऑप्शन अमेरिकी और यूरोपीय ऑप्शन होते हैं। अमेरिकी ऑप्शन के तहत उपरोक्त क्रिप्टो डेरीवेटिव उदाहरणों में ट्रेडर सब्जेक्ट सिक्यूरिटी को एक्सपीरेशन डेट पर बेच सकते हैं। वहीँ यूरोपीय ऑप्शन के अनुसार ट्रेडरों को उल्लिखित तारीख पर ही एक्सीक्यूशन करनी होती है।
फ़्यूचर
क्रिप्टो की दुनिया में फ़्यूचर कॉन्ट्रैक्ट सबसे आम और सीधे प्रकार के डेरीवेटिव होते हैं। फ़्यूचर डेरीवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के तहत दोनों पार्टियाँ किस एसेट को एक तय कीमत, तारीख और राशि पर खरीदने या बेचने के लिए अपनी सहमति व्यक्ति करते हैं।
फ़्यूचर प्राइस मूवमेंट्स का अनुमान लगाकर अलग-अलग डेरीवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के तहत काम करने लिए बाज़ार का ज्ञान और भविष्यवाणी का इस्तेमाल करने वाले संस्थागत निवेशकों द्वारा अपनाई जाने वाली यह एक आम ट्रेडिंग क्रिप्टो डेरीवेटिव रणनीति होती है।
एक्सीक्यूशन की तारीख आने पर दोनों ही ट्रेडरों को कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू (न कि बुनियादी एसेट) को ट्रांसफर कर कॉन्ट्रैक्ट समाप्त करना होता है, जिसमें दोनों पार्टियों को फ़ायदा या नुकसान होता है।
उदाहरण के तौर पर अगर कोई ट्रेडर BTC को किसी भावी तारीख पर बेचने के लिए किसी डेरीवेटिव कॉन्ट्रैक्ट में चला जाए। अगर BTC को $50,000 देकर खरीदा गया था और कॉन्ट्रैक्ट एक्सपीरेशन डेट पर 1 BTC = $60,000, तो ट्रेडर को $10,000 का फ़ायदा होगा।
उसी तरह, अगर BTC की कीमत गिरकर $35,000 रह जाए, तो ट्रेडर को $15,000 का नुकसान हो जाएगा।
पर्पेचुअल
बिना किसी एक्सपीरेशन डेट वाले ये सबसे ज़्यादा लचीले और एडवांस्ड डेरीवेटिव होते हैं। इसलिए पर्पेचुअल फ़्यूचर कॉन्ट्रैक्ट ट्रेडर किसी एसेट या कॉन्ट्रैक्ट को अपनी मनचाही अवधि के लिए सकते हैं।
लेकिन किसी एसेट को होल्ड करने के लिए निवेशकों को कुछ शर्तों के साथ-साथ फ़ंडिंग दर (होल्डिंग शुल्क) और न्यूनतम मार्जिन जैसी उसकी पर्पेचुअल फ़्यूचर कॉन्ट्रैक्ट कीमत पर भी विचार कर लेना चाहिए।
क्रिप्टो डेरीवेटिव ट्रेडिंग अहम क्यों होती है?
डेरीवेटिव्स में ट्रेड करना परंपरागत ढंग से उन्हें होल्ड करने और बेचने से कहीं ज़्यादा तेज़तर्रार होता है। निवेशकों को कोई क्रिप्टो एक्सचेंज नहीं ढूँढना पड़ता, BTC या ETH जैसी किसी खास क्रिप्टो को खरीदना नहीं पड़ता, उसे अपने वॉलेट में ट्रांसफ़र नहीं करना पड़ता, और फिर उसे बेचकर कुछ मुनाफ़ा कमाने के लिए सबसे बेहतरीन समय और मौके की राह नहीं देखनी पड़ती।
वैसे भी, क्रिप्टो स्पॉट ट्रेडिंग में डिजिटल या कस्टोडियल वॉलेट की भूमिका ज़्यादा बड़ी होती है, जिसमें समय भी लग सकता है और लेन-देन में हैकरों और स्कैमरों की घुसपैठ के चलते सुरक्षा जोखिम भी खड़े हो सकते हैं। इसलिए इन फ़ीचरों का फ़ायदा उठाने के लिए क्रिप्टो डेरीवेटिव ट्रेडर इस रणनीति का इस्तेमाल करते हैं।
बाज़ार तक ज़्यादा एक्सेस
डेरीवेटिव्स में आपको ज़्यादा लिक्विडिटी मिलती है क्योंकि ट्रेड करने में वे ज़्यादा तेज़तर्रार और आसान होते हैं, जो क्रिप्टो एसेट्स की उपलब्धतता को बेहतर बनाता है। लिक्विडिटी का मतलब होता है कि बाज़ार में भाग लेने वाले लोग किसी इंस्ट्रूमेंट को कितनी आसानी से खरीद और बेच सकते हैं। लिक्विड बाज़ारों की ऑर्डर बुक में पर्याप्त पेंडिंग ट्रेड करने लायक एसेट्स होते हैं, और ट्रेड का दूसरा छोर संभालने के लिए बाज़ार में कई ट्रेडर तैयार रहते हैं।
इसलिए क्रिप्टो डेरीवेटिव्स लिक्विडिटी को बल प्रदान कर बाज़ार की समूची कार्यक्षमता और स्थिरता में अपना योगदान देते हैं।
ट्रेडरों के पोर्टफ़ोलियो में विविधतता लाना
क्रिप्टो डेरीवेटिव्स में ट्रेड करना पोर्टफ़ोलियो में विविधतता लाने का एक उपकरण साबित हो सकता है, जिसके चलते निवेशक BTC ट्रेडिंग के अलग-अलग ऑप्शन और रूपों को आज़माकर सबसे बेहतरीन क्रिप्टो निवेश रणनीति ढूँढ सकते हैं।
इसके अलावा, क्रिप्टो डेरीवेटिव शॉर्ट सेलिंग को सुविधाजनक बनाते हैं, जिसके तहत बुनियादी क्रिप्टो एसेट का स्वामित्व हासिल किए बगैर बाज़ार में गिरावट आने पर ट्रेडर किसी विशिष्ट डिजिटल कॉइन को बेच सकते हैं। दूसरी तरफ़, परंपरागत बाज़ारों में किसी विशिष्ट क्रिप्टो को बाज़ार में बेचने से पहले ट्रेडरों के पास उसका स्वामित्व होना चाहिए।
क्रिप्टो एसेट्स के जोखिमों को कम करना
ब्लॉकचेन मुद्राओं की खासियत उनकी भारी अस्थिरता और अप्रत्याशितता होते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आपके पास कोई ETH है और उसकी बढ़ती कीमत के चलते आप उसे बाद में किसी ऊँचे दाम पर बेचना चाहते हैं, तो कीमत में बिना किसी चेतावनी के बदलाव और गिरावट देखने को मिल सकते हैं। इसलिए डिजिटल कॉइन्स और टोकनों का मालिकाना हक रखकर उनमें ट्रेड करने में जोखिम होता है।
दूसरी तरफ़, डेरीवेटिव तय कीमतों वाले वे अनुबंध होते हैं, जिनके तहत ट्रेडर बाज़ार के उतार-चढ़ावों से हटकर तय तारीख पर लेन-देन को एक्सीक्यूट करते हैं।
क्रिप्टो डेरीवेटिव्स के फ़ायदे और नुकसान
कोई विश्वसनीय क्रिप्टो डेरीवेटिव प्लेटफ़ॉर्म ढूँढने के बाद इन अनुबंधों के तहत ट्रेड करने के कुछ फ़ायदे-नुकसानों के बारे में जान लेना अहम होता है। आइए क्रिप्टो डेरीवेटिव ट्रेडिंग के कुछ जोखिमों और लाभों पर प्रकाश डालते हैं।
फ़ायदे
- क्रिप्टो डेरीवेटिव्स में कम जोखिम होते हैं क्योंकि उनके तहत आपको किसी डिजिटल कॉइन का मालिक बनकर बाज़ार की अस्थिरता के जोखिम को कम नहीं करना पड़ता।
- किसी कस्टोडियल वॉलेट में एसेट के मालिक बने या ब्लॉकचेन और DeFi एक्सचेंज के साथ इंटरैक्ट किए बगैर ही उन्हें आसानी से मैनेज किया जा सकता है।
- खासकर क्रिप्टो जैसे उपकरणों में बाज़ार की जोखिमपूर्ण पोज़ीशन को हेज करने के लिए ट्रेडर डेरीवेटिव्स का इस्तेमाल कर सकता है।
- डेरीवेटिव्स में बहुत ज़्यादा लिक्विडिटी होती है क्योंकि उनमें ट्रेड करने की सरलता और उनका लचीलापन निवेशकों के लिए उन्हें एक लुभावना विकल्प बनाते हैं।
- सही ढंग से मैनेज किए गए क्रिप्टो डेरीवेटिव कॉन्ट्रैक्ट का लेन-देन का शुल्क कम होता है, जबकि स्पॉट ट्रेडिंग में गैस, ब्रोकर, और एक्सचेंज शुल्क शुमार होते हैं।
नुकसान
- अगर पूर्वनिर्धारित कीमत बाज़ार के वास्तविक मूल्य से कम है, तो कैलकुलेट न की गई रणनीतियों से अवास्तविक फ़ायदा हो सकता है।
- OTC डेरीवेटिव लेन-देन अनुपालन और पहचान जाँच के अधीन नहीं होते, जिससे काउंटरपार्टी जोखिमों में बढ़ोतरी आ जाती है।
- डेरीवेटिव कॉन्ट्रैक्ट वाले नियामक ढाँचे दुनियाभर में अलग-अलग होते हैं।
अंतिम टिप्पणियाँ
क्रिप्टो डेरीवेटिव BTC या ETH जैसे किसी विशिष्ट वित्तीय इंस्ट्रूमेंट को एक्सचेंज करने के लिए किसी कीमत और तारीख पर सहमत होने वाली दो पार्टियों के बीच के अनुबंध होते हैं। ये टूल्स अच्छी लिक्विडिटी और जोखिम प्रबंधन योजनाएँ मुहैया कराते हैं और इसलिए क्रिप्टो ट्रेडिंग के लिए उन्हें एक लुभावने समाधान के तौर पर देखा जाता है।